सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी गुटों द्वारा विभाजन के बाद एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए यथार्थवादी समय-सीमा देने का अंतिम अवसर दिया। पार्टी ने आगे की सुनवाई दशहरा की छुट्टियों के तुरंत बाद 30 अक्टूबर को तय की। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील पर गौर किया कि वह दशहरा की छुट्टियों के दौरान व्यक्तिगत रूप से स्पीकर के साथ जुड़ेंगे और तौर-तरीकों का एक ठोस संकेत देंगे।
वही पीठ ने 30 अक्टूबर को सुनवाई के लिए मामले को पोस्ट करते हुए कहा, हम समय सारिणी से संतुष्ट नहीं हैं। एसजी ने अवगत कराया है कि दशहरा अवकाश के दौरान वह व्यक्तिगत रूप से स्पीकर के साथ जुड़ेंगे ताकि तौर-तरीकों का एक ठोस संकेत दिया जा सके जिसमें जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा भी शामिल थे।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके वफादार कई विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए उद्धव ठाकरे गुट द्वारा दायर याचिकाओं पर फैसला करने में देरी पर स्पीकर को कड़ी फटकार लगाई थी और कहा था कि स्पीकर शीर्ष अदालत के आदेशों को खारिज नहीं कर सकते। शिंदे गुट द्वारा भी ठाकरे के प्रति निष्ठा रखने वाले विधायकों के खिलाफ इसी तरह की अयोग्यता याचिकाएं दायर की गई हैं। शीर्ष अदालत ने 18 सितंबर को स्पीकर को याचिकाओं पर फैसले के लिए समयसीमा बताने का निर्देश दिया था।